बीजेपी के साथ गठबंधन का कोई सवाल नहीं, अजित भ्रम फैला रहे : शरद पवार

 























बीजेपी के साथ गठबंधन का कोई सवाल नहीं, अजित भ्रम फैला रहे : शरद पवार




खास बातें






  1. शिवसेना और कांग्रेस में लंबे समय तक रह चुके राणे के दोनों दलों में रिश्ते

  2. शिवसेना के भारी विरोध के बावजूद भाजपा ने राणे को राज्यसभा में भेजा था

  3. राणे ने कहा था, भाजपा की सरकार बनाने के लिए मैं पूरी कोशिश करूंगा




 


नई दिल्ली: 


महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे (Narayan Rane) उन प्रमुख लोगों में शुमार हैं जिन्हें भाजपा (BJP) ने किसी भी कीमत पर देवेंद्र फडणवीस सरकार के लिए बहुमत का बंदोबस्त करने के मोर्चे पर लगाया है. भाजपा कोटे से राज्यसभा सांसद राणे को इस मोर्चे पर लगाने की वजह यह है कि वह शिवसेना (Shiv Sena) और कांग्रेस (Congress) में लंबे समय तक रह चुके हैं. दोनों दलों में आज भी वरिष्ठ नेताओं से लेकर विधायकों तक से राणे के निजी रिश्ते हैं. कांग्रेस के नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध माने जाते हैं.


राणे सार्वजनिक रूप से कहते रहे हैं, "मेरे दोस्त हर जगह हैं. शिवसेना में उद्धव और कांग्रेस में अशोक चव्हाण को छोड़कर सब मेरे दोस्त हैं." यह चर्चित बयान उन्होंने वर्ष 2017 में कांग्रेस छोड़ते वक्त दिया था. वह अजित पवार के सहयोग से फडणवीस के नेतृत्व में बनी सरकार के लिए बहुमत का 'जुगाड़' कर भाजपा से राज्यसभा सीट मिलने का कर्ज उतारना चाहते हैं. वर्ष 2018 में गठबंधन सहयोगी शिवसेना के भारी विरोध के बावजूद भाजपा ने उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा भेजा था. वहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का विलय कर देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें भाजपा में शामिल किया था.


12 नवंबर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद नारायण राणे ने कहा था, "भाजपा की सरकार बनाने के लिए मैं पूरी कोशिश करूंगा. सरकार बनाने के लिए जो करना होगा, वो करेंगे. साम, दाम, दंड, भेद तो शिवसेना ने ही मुझे सिखाया है." नारायण राणे पूर्व में कह चुके हैं कि भाजपा के पास 105 विधायक हैं और पार्टी को सिर्फ 40-45 विधायकों के समर्थन की व्यवस्था करनी है.